काजरी किसान मित्र - सफल किसानों की कहानियां |
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1. | श्री भियाँराम, गाँव दंतिवाड़ा, जोधपुर का खेती एक पारंपरिक व्यवसाय है इसे इन्होने नई तकनीकों और स्वंय के नवाचरों से न केवल उन्न्त बनाया है वरन खेती तो लाभकारी भी बनाया है । इन्होने काजरी द्वारा दिये दलहनों के उन्नत बीजों से न केवल सफल उत्पादन लिया साथ ही अन्य किसानों को भी बीज बनाकर उपलब्ध कराया। वर्षा जल संरक्षण का टांका बनाकर उसमे पशुओ के लिए आज़ोला उगते हैं साथ ही इस पानी से अपने परिवार के लिए वर्ष भर जैविक फल- सब्जियों का उत्पादन करते हैं । | |
2. | श्री तारा चंद सियाग राजस्थान के नागौर जिले के मेड़ता ब्लॉक के बीतन गांव के एक शिक्षित किसान है । उन्होंने काजरी के वैज्ञानिकों से संपर्क करने के बाद 2011 में बेर की खेती शुरू की । उन्होंने अपने खेत में गोला, सेब, उमरान, रश्मी और अलीगंज की बेहतर बेर किस्मों में 200 से अधिक जंगली पौधों को सफलतापूर्वक परिवर्तित कर दिया और दूसरे वर्ष से फल उपज और तीसरे वर्ष से पूर्ण उत्पादन शुरू करना शुरू कर दिया। | |
3. | श्री इदाराराम जोधपुर के बालेसर पंचायत समिति में उटंबर गांव के एक पूर्व सेना अधिकारी है। श्री इदाराराम ने वर्ष 1995 से कृषि का अभ्यास करना शुरू कर दिया था लेकिन वर्ष 2017-18 में काजरी के वैज्ञानिकों की सुझाई गयी कृषि तकनीकों को 2 लाख रुपये से ज्यादा की आय उत्पन्न हुई। इनका मानना है “एकीकृत खेती प्रणाली शुष्क क्षेत्र के किसानों के लिए भाग्य बदल सकती है” | |
4. | सब्बू गांव निवासी श्रीमती जेनब प्रवीण (लेह शहर से लगभग 10 किमी) एक मेहनती प्रगतिशील महिला कृषक है। वह पिछले चार सालों से काज़री द्वारा विकसित कृषि तकनीकों का पालन कर रही है और सब्जी / फूलों की खेती, फल, पशु पालन आदि के साथ अपने खेत में विभिन्न सब्जी फसलों की अच्छी गुणवत्ता वाली नर्सरी को बढ़ा रही है और बेच रही है। उसके पास फूलों की वार्षिक और बारहमासी फूल पौधों का बहुत अच्छा संग्रह है । श्रीमती प्रवीण युवा कृषि महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं । | |
5. | श्री पाबुराम पटेल, सरेचा खेड़ा गाँव, लूनी तहसील, जोधपुर के निवासी हैं। इनके पास 150 बीघा भूमि है किंतु बारानी खेती होने से आय बहुत कम थी। इन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र, काजरी, जोधपुर से 21 दिवसीय पशुपालन का प्रशिक्षण लिया। वर्तमान मे इनके पास 60 गायें और भेंस हैं। ये ऊन्न्त विधि से डेयरी प्रबंधन और पशुओ के नस्ल सुधार पर सर्वाधिक ध्यान देते हैं। आज इनकी आय 5 लाख रु वार्षिक है जो पहले मात्र 1.5 लाख थी। ये अपने गाँव के अन्य किसानों को भी उन्न्त पशुपालन की जानकरियाँ देते रहते हैं। | |
6. | युवा कृषक श्री ललित देवड़ा, निवासी- मंडोर, जोधपुर ने परिनगरिय क्षेत्र में संरक्षित खेती कर एक उल्लेखनीय कीर्तिमान स्थापित किया है। श्री देवड़ा ने 2000 वर्गमीटर पॉलीहाऊस में 5 महीने में 28 टन खीरा उत्पादित कर लगभग 6 लाख रूपये का शुद्ध लाभ अर्जित कर अन्य युवा कृषकों हेतु कृषि उद्यमिता का मार्ग प्रशस्त किया है। | |
7. | श्री सत्ता राम चौधरी, निवासी- ग्राम जास्ती, पं.स. पचपदरा, बाड़मेर ने अत्यन्त शुष्क दशओं में बेर, नींबू, अनार एवं गोदा के 800 से अधिक पौधे सफलतापूर्वक उगाकर शुष्क क्षेत्रिय उद्यानिकी में एक मिशाल कायम की है। उद्यान लगाने के चौथे साल ही श्री चौधरी ने लगभग 2 लाख रूपये की शुद्ध आय अर्जित कर अन्य कृषकों का मनोबल बढ़ाकर शुष्क क्षेत्रों में उद्यानिकी द्वारा कृषि सघनता बढ़ाने का एक अनन्य उदाहरण पेष किया है। | |
8. | श्री मोहन राम सारण, निवासी-ग्राम दईकड़ा, पं.स. मंडोर जोधपुर ने एक 1.25 हैक्टेयर के बंजर खेत में काजरी द्वारा विकसित समन्वित कृषि प्रणाली मॉडल, जैविक फसलोत्पादन एवं कूमट से गोंद उत्पादन जैसी तकनीकियाँ अपनाकर लगभग 4 लाख रूपये का शुद्ध लाभ प्राप्त कर काजरी संस्थान को गौरवान्वित करने के साथ ही अपना आर्थिक उत्थान भी किया है। श्री सारण दईकड़ा के अन्य कृषकों को भी इन तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। | |
9. | श्री जय राम, निवासी- ग्राम हरसोलाव, पं.स. मेड़ता, नागौर ने फसलों की उन्नत किस्मों का प्रयोग करने के साथ-साथ काजरी द्वारा विकसित पशु आहार बट्टिका एवं चारे को यूरिया से उपचारित कर उन्नत पशुपालन तकनीकों को अपनाया है। इसके अलावा इन्होनें विलायती बबूल की फलियों से पौष्टिक पशु आहार बनाया है जो अन्य कृषकों के लिए काफी प्रेरणादायी है। | |
10. | श्री ओम गिरि, ग्राम पालडी रनावता, पं.स. भोपालगढ़, उन्नत कृषि तकनीकों के लिए जागरूक एक प्रगतिशील किसान है। श्री गिरि ने काजरी द्वारा विकसित सौर पशु आहार कुकर, पशु आहार बट्टिका, बेर की उन्नत किस्मों के फलोद्यान लगाये है। इसके अलावा इन्होंने अन्य उन्नत कृषि तकनीकों जैसे शून्य ऊर्जा शीत गृह, मशरूम उत्पादन, कम्पोस्ट उत्पादन इत्यादि को अपनाकर शुष्क क्षेत्रों में लाभप्रद एवं टिकाऊ कृषि का एक उत्कृष्ठ उदाहरण पेष किया है। | |
11. | श्री गोरधन राम, निवासी- ग्राम नेवरा रोड़़, पं.स. ओसियां, जोधपुर ने सौर पशु आहार कुकर, वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन, शुष्क क्षेत्रिय फलों की नर्सरी के साथ गाय, भैंस व बकरी की उन्नत देशी नस्लें पालकर अपने कृषि उत्पादन एवं लाभ में उल्लेखनीय इजाफा किया है। इसके अतिरिक्त, श्री गोरधन राम ने लगभग 750 किसानों को भी उन्नत कृषि तकनीकें अपनाने के लिए प्रेरित किया है। | |
12. | श्रीमती विमला सिहाग, निवासी- ग्राम बोरानाड़ा, पं.सं. लूणी, जोधपुर की एक प्रगतिशील महिला कृषक हैं। श्रीमती सिहाग काजरी द्वारा विकसित सेब, गोला, उमरान एवं टिकड़ी बेर के फलोद्यान लगाने के अतिरिक्त सब्जियों एवं फलों के मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाकर सालाना लाखों रुपयों की आमदनी अर्जित कर रही हैं। श्रीमती सिहाग रेडियों द्वारा प्रसारित कृषि कार्यक्रमों की चर्चा में भी भाग लेकर अन्य कृषक महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं। | |
13. | श्री जेठा राम, निवासी- ग्राम लाखुसर, पं.सं. जलवाली, बीकानेर के एक प्रगतिशील कृषक हैं। इनकी कई वर्षों से काजरी के साथ सक्रिय भागीदारी रही है। इन्होंने टांका आधारित फल उत्पादन, कूमट से गोंद उत्पादन, कृषक नर्सरी, फार्म-कम्पोस्ट उत्पादन इत्यादि तकनीकियाँ अपनाकर अन्य कृषकों को भी प्रेरित किया है। | |
14. | श्री जेठु सिंह, निवासी- ग्राम लाठी, पं.सं. संकरा, जैसलमेर ने पुराने बेर वृक्षों का उन्नत किस्म के कलिकायन द्वारा जीर्णाद्धार कर बेर उत्पादन में उल्लेखनीय कार्य किया है। श्री जेठु सिंह अन्य फसलों की भी उन्नत किस्में अपनाकर कृषि उत्पादन एवं लाभ में वृद्धि कर अन्य कृषकों को भी प्रेरित कर रहे है। | |
15. | श्री डेडाराम पटेल, निवासी- ग्राम गजनगढ़, पं.स. रोहिट, पाली एक सफल कृषि उद्यमी हैं। श्री पटेल काजरी द्वारा विकसित पशु आहार बट्टिका को लघु उद्योग के रूप में अपनाकर लगभग 10000 रुपये की मासिक आमदनी अर्जित करने के साथ-साथ पशु स्वास्थ्य एवं दूध उत्पादन में प्रषंसनीय योगदान दे रहे हैं। | |
16. | श्री बाबू लाल सुथार गोदावास, जोधपुर के पास 8.8 हेक्टेयर भूमि हैं और वे पूरी तरह से फसल उत्पादन के लिए वर्षा पर निर्भर थे वर्ष 1995 में काजरी के संपर्क में आने के बाद, सर्वप्रथम उन्होंने नई किस्मों के साथ पुराने बीज को बदलने का फैसला किया तथा बेहतर कृषि पद्धतियों के हस्तक्षेप से खेती के जोखिम को कम करके सुनिश्चित आजीविका प्राप्त कर रहे है। | |
17. | श्री माला राम गांव रामपुरा, पाली के पास 4.0 हेक्टेयर जमीन हैं। लगभग डेढ़ दशक पहले उनके खेत की उत्पादकता और लाभप्रदता उनकी पारिवारिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। वर्ष 2005 में कृषि विज्ञान केंद्र, पाली से बेर कलम रोपण विधि का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होने अपने सभी देसी बेर पौधों को कलम रोपण विधि के माध्यम से ‘गोला’ किस्म में परिवर्तित कर अब वे ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाकर लगभग 280 बेर पौधों का रखरखाव कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से उन्होंने वर्मी-कंपोस्टिंग शुरू की और आज उनके पास 10 वर्मी-कम्पोस्टिंग क्यारियाँ हैं तथा वे इलाके में जरूरतमंद किसानों को केंचुआ ईकाइयाँ भी सप्लाई करते है। | |
18. | कप्तान बाबू खान के पास जोधपुर के शुष्क क्षेत्र मे 12 बीघा बंजर भूमि थीं। उन्होने 2003 मे कृषि विज्ञान केंद्र, काजरी मे बागवानी का प्रशिक्षण लिया। इन्होंने कृषि का विविधिकरण कर समन्वित कृषि पद्धति से पूरे राजस्थान में आर्दश फार्म की पहचान बनाई है। इनसे प्रेरणा लेकर कई सेना सें सेवानिवृत कर्मियों ने कृषि करना आरम्भ किया। आपकी बेर उत्पादन से विपणन करने के नवाचार विधि राज्य सरकार एंव अन्य संस्थाओं से मान्यता प्राप्त है। | |
19. | श्री विजय सिंह पुत्र श्री उम्मेद सिंह ग्राम हरसोलाव, पंचायत समिति मेड़ता, जिला नागौर से है। उनके पास लगभग 10 बीघा भूमि को सिंचित करने के लिए ट्यूबवेल की सुविधा वाली 14-15 बीघा जमीन है। वे काजरी, जोधपुर के अंतर्गत गाँव हरसोल्व में लाइव स्टॉक आधारित कृषि परीक्षणों में भाग लेने के लिए किसानों के चयन की प्रक्रिया में काजरी के वैज्ञानिकों के संपर्क में आए। उन्होंने किसानों को काजरी तकनीक अपनाने के लिए भी प्रेरित किया। पशुधन आधारित कृषि प्रणाली के लिए उनके निरंतर प्रयासो के कारण उन्हें 2018 में काजरी किसान मित्र के रूप में मान्यता दी गई। | |
20. | श्री राम चन्द्र के पास 51 बीघा बंजर भूमि थी। उनके गांव में पानी भी लवणीय है। तत्पश्चात लगभग 6 वर्ष पूर्व वे कृषि विज्ञान केंद्र, काजरी की सहायता से वर्षा जल संचयन संरचना का निर्माण किया। फिर उन्होंने अपने खेत पर गुंदा और बेर के बाग लगाने शुरू किए। श्री राम चन्द्र एक ऊर्जावान किसान हैं, जो अपने गांव के लोगों के कल्याण के लिए काम करने की उनकी असाधारण क्षमता रखते हैं। | |
21. | श्री गोविंद राम रोहट ब्लॉक (पाली) के गाँव साड़ी की ढाणी मे सालों से सामान्य पैटर्न की तरह सरसों, मूंग, कलौंजी, चना, तिल और ज्वार की पारंपरिक फसलों की खेती कर रहे थे। काजरी वैज्ञानिकों के संपर्क में आने के बाद उन्होंने वैज्ञानिक आधार पर इन फसलों की खेती शुरू की जिससे उनके उपज और गुणवत्ता के परिणाम बहुत उत्साहजनक रहे। इस उपलब्धि के परिणाम स्वरूप, उन्होंने बीज उत्पादन तकनीक पर और प्रशिक्षण लिया। अब, श्री गोविंद राम एक प्रमाणित बीज उत्पादक बन गए हैं और राजस्थान राज्य बीज निगम (RSSC) के लिए और शुष्क दालों के लिए बीज हब कार्यक्रम के तहत काजरी के लिए बीज का उत्पादन करते हैं। | |
22. | श्री गोर्वधन सिंह चेलावास, मारवाड़ जंक्शन के पास पूरी तरह बंजर 25 एकड़ जमीन थी, जिसमे घास व झाड़िया लगी थी। यह जमीन नदी के किनारे होनें के कारण हर वर्ष भू क्षरण का शिकार हो रही थी, तत्पश्चात श्री गोर्वधन सिंह, कृषि विज्ञान केन्द्र, काजरी पाली के सम्पर्क में रहकर कृषि की नवाचारी तकनीकों से एक सफल कृषि उद्यमि बनें। अब इनके पास 5 हैक्टर में सुव्यवस्थित अनार का बगीचा है। इन्होनें दुबई से 200 अनार के पौधे आयात कर खेत मे लगाये है। आप इस समय अर्द्धशुष्क क्षेत्र में स्ट्राबेरी की खेती कर रहे है।लोग इनके स्व उन्नत खेती के तरीको को अपनाकर ‘खेत एक उद्यम’ में की सोच के साथ एक बेहतर जीवन निर्वाह कर रहे | |
23. | श्री अर्जुन राम गाँव बींजवाड़िया तहसील जोधपुर ने CAZRI के माध्यम से विकसित और प्रदर्शित नई तकनीकों को अपनाया, जिनमें बाजरा, मोठ , ग्वार और जैविक जीरा की उन्नत किस्में, विभिन्न खाद निर्माण तकनीकें, बेहतर पशुधन प्रबंधन, कृंतक प्रबंधन पद्धतियाँ, सूक्ष्म सिंचाई के तरीके और सौर उपकरणों जैसे सौर शुष्कक और पशु आहार सौर कुकर शामिल हैं। इन्होंने उपरोक्त सभी तकनीकों को एकीकृत किया और अपने खेत को जैविक प्रबंधन के साथ विकसित किया तथा उत्पादन लागत को कम करने के साथ ही साथ अपने जैविक उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं को उत्तम कीमतों पर बेचा। | |
24. | श्री हरि सिंह फलसुंड, जैसलमेर आईसीएआर- काजरी के साथ लंबे समय से संपर्क में हैं और काजरी गम उत्पादन तकनीक को अपनाया है। इन्होंने प्रति वर्ष बड़े पैमाने पर लगभग 2.0 क्विंटल औसत अरबी गम उत्पादन शुरू किया। अरबी गम की बाजार दर लगभग 1000 / = रुपये प्रति किलो है। इस प्रकार, इन्होंने प्रति वर्ष 1.6 लाख रुपये की कमाई की। आपने बबूल के सेनेगल का बीज एकत्र किया और घरेलू उद्देश्य के लिए उपयोग किया और शेष को स्थानीय बाजार में बेच दिया गया, जिससे बीज संग्रह से 10,000 रुपये अतिरिक्त आय हुई। गम उत्पादन प्रौद्योगिकी एक आजीविका सुधार तकनीक है जो उनके गांव की चरम शुष्क स्थिति में भी उनके लिए कारगर सिद्ध हुई। | |
25. | श्री रतन लाल डागा ग्राम-मथानिया, तहसील- तिवरी, जोधपुर से, 4000 से अधिक फलों के वृक्षों से युक्त प्रमाणित मॉडल ऑर्गेनिक बाग की स्थापना की हैं, जिनमें अनार, आंवला, पपीता, निम्बू और बेल का गूँदा और बैगन शामिल हैं। जैविक प्रबंधन के तहत खेत को आत्मनिर्भर बनाने से उसकी उपज मौजूदा बाजार दर से अधिक हो जाती है। वे सूक्ष्म सिंचाई विधियों जैसे पौधों के साथ बूंद बूंद सिंचाई प्रणाली, औषधीय पौधों और चारे के पौधों का उपयोग करके अच्छी कृषि-विविधता को बनाए रखते है। इसके अलावा उन्होंने अपने उपलब्ध कृषि संसाधनों का कुशलतापूर्वक पुनर्चक्रण कर शुष्क क्षेत्र के लिए लगभग स्व-टिकाऊ प्रणाली बनाई और उपभोक्ताओं को सीधे अपनी जैविक उपज बेची। | |
26. | श्री प्रेमजी भाई वेलजी भाई वेकारिया, माधपार गाँव, भुज तहसील, कच्छ जिले, गुजरात के प्रगतिशील किसान हैं तथा इनके पास 8 हेक्टेयर भूमि है और बागवानी इनका मुख्य शौक है। इन्होंने केवीके, काजरी, भुज से 2018 के दौरान ढोल छड़ी (सेहजन) की उत्पादन तकनीक सीखी। उन्होने 55, 000/- की इनपुट लागत से 2,06,700 / - कीमत की 123 क्विंटल उपज प्राप्त की । कम लागत के साथ ढोल छड़ी की सफल खेती से उन्हें अपने इलाके में कई किसानों द्वारा प्रशंसा मिली। अपनी 1 हेक्टेयर भूमि में विभिन्न तकनीकों जैसे बीज की किस्मों का चयन, बीज की उपलब्धता के स्रोत, नर्सरी बढ़ाने, निषेचन, उचित प्रशिक्षण और प्रूनिंग ऑपरेशन, पौध संरक्षण उपाय, सिंचाई प्रबंधन आदि को अपनाया है। | |
27. | श्री सीता राम- पालड़ी राणावता गाँव, पंचायत समिति- भोपालगढ़, जोधपुर ने बाजरा (MPMH-17), मूंग (IPM 02-3), ग्वार (RGC-1017), जीरा (GC-4) की उन्नत किस्मों को अपनाया; मुर्राह भैंस, थारपारकर गाय और मारवाड़ी नस्ल की बकरी को बेहतर पशुधन प्रबंधन प्रथाओं के तहत पालना; खाद बनाना; यंत्रीकृत ड्रिप सिंचाई प्रणाली और रु 25,000 - 30,000 सामुदायिक नर्सरी से पौधे की बिक्री के माध्यम से आय अर्जित हुई। इसके अतिरिक्त वे अपने किसानों को बेहतर खेती तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करने के अलावा अपने खेत में बेर और गुंदा की इन-सीटू बडिंग जैसी काजरी तकनीकों का उपयोग करते हैं। | |
28. | श्रीमती मीरा देवी, लुणावास खारा ग्राम पंचायत समिति लूणी, जोधपुर एक सक्रिय महिला किसान हैं, जिन्होंने तकनीकी मार्गदर्शन के लिए केवीके,काजरी के साथ हाथ मिलाया और काजरी प्रौद्योगिकियों के बेहतर विकास, उन्नत बीजों और उन्नत कृषि प्रणाली को अपनाया। बेर ऑर्चर्ड में इंटरक्रोपिंग , बहु-पोषक ब्लॉक का उपयोग, चारे की कमी की अवधि के दौरान बहु-पोषक मिश्रण; फार्म मशीनरी के माध्यम से कठिन परिश्रम में कमी, सौर पंप जल भंडारण टैंक का उपयोग, ड्रिप सिंचाई सुविधा, शून्य ऊर्जा कूल चैंबर के माध्यम से सब्जी और फलों की फसलों में पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान को कम करना और खाद बनाने के माध्यम से खेत और घर के कचरे का पुनर्चक्रण। नवाचार के माध्यम से गुंदा और बेर (गोला, सेब, उमरन) के बागों की स्थापना से न केवल उसकी शुद्ध आय रु 5 लाख / वर्ष बढ़ गयी साथ ही उसकी आजीविका को उन्नत कृषि से एक नया साहस मिला है। | |
29. | श्री चंपा लाल ग्राम बेहड़ कलां ; पंचायत समिति- जैतारण, पाली के एक माध्यमिक शिक्षा पास किसान, नवीनतम तकनीकी ज्ञान का उपयोग करके नवीन खेती का अभ्यास करके एक सफल उद्यमी के रूप में परिवर्तित होकर केवीके, काजरी, पाली के मार्गदर्शन में ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाकर और 25,500 /- रुपये प्रति हेक्टयर का निवेश करके जीरा और सौंफ़ के वाणिज्यिक जैविक बीज उत्पादन से 5.7 लाख रु तक की आय अर्जित कर रहे है। अब न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है, बल्कि वे अपने क्षेत्र के किसानों के लिए पथ प्रदर्शक भी बन गए हैं। | |
30. | श्री राजू राम मीणा गाँव-गोडवा के; पंचायत समिति- पाली, केवीके काजरी के मार्गदर्शन में अपने 1.5 हेक्टेयर क्षेत्र में बारिश के पानी का संग्रहण से अनार और बेर के बगीचे स्थापित कर कृषि-उद्यमी के रूप में एक नयी पहचान बनाने में सफल हुए है। उन्होंने अपने बेर के बाग में हरे चने और काले चने में अंतः - फसल का उपयोग किया। इसके अलावा वे कीमती पानी को बचाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई विधियों जैसे बूंद बूंद सिंचाई का उपयोग करते है। उनके द्वारा नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकियों और नवाचारों को अपनाने से न केवल बेहतर आय प्राप्त की है (1.5 लाख प्रति वर्ष) बल्कि पाली पंचायत समिति के किसान समुदाय के बीच भी अपनी नवीन पहचान बनाई है। |